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"ब्रा ही तो है यार"

  • Writer: Govind Síñgh
    Govind Síñgh
  • Jul 24, 2020
  • 1 min read

"

ब्रा ही तो है यार"


जिसे देख तुमने उठाई शर्म की दीवार ,

एक लड़की के चरित्र को बताया दागदार ,

ये तो बस एक साधारण सी ब्रा है दोस्त ,

सब पर मत थोपो अपने खोखले संस्कार !


जिसके नाम से टपकाते हो लार ,

वो तो है नारी का एक श्रृंगार ,

ब्रा को इज्ज़त से मत जोडो

ये बस एक वस्त्र है मेरे यार !


अगर तुम कपड़े के एक टुकड़े को

बताते हो हवस का ज़िम्मेदार ,

तो दोस्त तुम दिमाग से हो बीमार ,

ब्रा हर महिला पहनती है ,

ऊँचे रखो तुम अपने विचार !


मर्द की बनियान दिखे तो वाह वाह ,

औरत की ब्रा दिखे तो धिक्कार ,

सोचता हूँ ऐसी सोच वालों को

निकालकर मारूं जूते चार !


माँ पहनती है , बहन पहनती है

इसे पहनता है पूरा संसार ,

पर कुछ गंवारों ने ब्रा को बना लिया

कीचड़ उछालने का हथियार !


औरत की छाती निहारने वाले होते

हैं बेइज्ज़ती के असली हक़दार ,

तुम खुद भी ब्रा लाकर दे सकते हो

जो करते हो तुम उनसे प्यार !


किसी के पहनावे पर टोकने का

किसी को भी नहीं है अधिकार ,

ब्रा को लेकर ताना मत कसो

ना करो किसी औरत को शर्मसार !


आज किसी की ब्रा को देखकर

तुम करते हो गंदे शब्दों की बौछार ,

कल तुम्हारी बहन बेटी पर उंगली उठेगी

तो तुम्हें कैसा महसूस होगा बरखुरदार ?


अभी से तुम हो जाओ ख़बरदार ,

अपने आपको मौका दो एक बार ,

ब्रा को देखो बस एक कपड़े की तरह

अब तुम ले आओ ख़ुद में सुधार !

 
 
 

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